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एक जमाना था सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र का जब लोग सच के नाम पर जान दे दिया करते थे और एक जमाना है आज के इस भौतिकतावादी युग का जब झूठ और फरेब हमारी ज़िंदगी का अभिन्न अंग बन गया है। आज के इस प्रतिस्पर्धी युग में व्यक्ति सुबह से शाम तक कितने झूठ बोलता है उसको खुद नहीं पता होता है और शायद वो पता कर भी नहीं सकता क्यूंकी बात बात पर तो झूठ बोला जाता है।
झूठ बोलना एक फ़ैशन की तरह हो गया है। बड़े बड़े पदों पर बैठे उच्चाधिकारी से लेकर मजदूर तक हर व्यक्ति जरा जरा सी बात पर झूठ बोलता है। जिस देश का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ हो उस देश में ऐसा होना शर्मनाक है और इस ओर सभी को ध्यान देना चाहिए। अगर देश की वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था के संदर्भ में कहा जाए तो यदि हर व्यक्ति सिर्फ इतना सा ही प्रण ले की वो सदैव सच बोलेगा तो वर्तमान व्यवस्था से लगभग 50-60% भ्रष्टाचार और अपराध खत्म किया जा सकता है।
पाश्चात्य सभ्यता की आँधी में अपनी नैतिकता मत भूलो….यदि सच में “सत्यमेव जयते” संस्कृति को सार्थक करना है तो सदैव सच बोलें।
सत्यमेव जयते !
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