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विरोध की नयी परिभाषा

ये है हिंदुस्तान मेरी जान
ये है हिंदुस्तान मेरी जान
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एफ़डीआई के मुद्दे पर लोकसभा में जो कुछ भी हुआ वो बहुत ही शर्मनाक और लोकतन्त्र कि हत्या है। ‘सपा और बसपा’ ने देश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए एफ़डीआई के विरोध  का जो ढोंग लोकसभा में किया उसकी पोल लोकसभा  में मतदान में ही खुल गयी। आखिर मतदान से भागकर कैसा विरोध ?विरोध तो संसद के अंदर मतदान से किया जाना चाहिए था।

सरकार को ‘बाहर से समर्थन’ देने की अपनी बातों को इन दोनों पार्टियों ने ‘संसद के बाहर से समर्थन’ देकर सिद्ध कर दिया। ऐसा संसद में तीसरी बार हुआ है जब सपा और बसपा संसद में मतदान से भागी हैं।

जनता को जब किसी पार्टी का विरोध करना होता है तो वो उसके खिलाफ वोट डालकर करती है लेकिन इन राजनैतिक पार्टियों को भी चाहिए कि जिस बिल (विधेयक) का ये विरोध करते हैं उसके खिलाफ वोट डालकर विरोध दर्ज़ कराएं ना कि संसद से बाहर जाकर। अब ये विरोध- विरोध की राजनीति करके जनता को बेवकूफ बनाना बंद करें क्यूंकी यही पार्टियां अब एफ़डीआई के लोकसभा में पास हो जाने के बाद कहेंगी की हमारी पार्टी ने एफ़डीआई का शुरू से ही विरोध किया है इसलिए हमने मतदान नहीं किया।

जो नेता जनता से चुनाव में शत प्रतिशत मतदान करने की बात करते हैं वो खुद अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण मतदान से भागते हैं ये लोकतन्त्र के लिए बहुत ही घातक है। चुनाव आयोग को चाहिए कि अब जनता के लिए “वोटर जागरूकता अभियान” कि तर्ज़ पर ही सांसदों के लिए “सांसद जागरूकता अभियान” चलाये क्यूंकी जिस एफ़डीआई के विरोध में 18 में 14 राजनैतिक दल और आधे से ज्यादा सांसद थे, अंतत: लोकसभा ने उसी को मंजूर कर दिया। संसदीय लोकतंत्र में “आम सहमति” कि ये नयी परिभाषा है। लोकसभा अब बोलती कुछ है और फैसला आता कुछ और है।

जनता को अब इन गिरगिटों के बदलते हुए रंगो को देखकर इनकी नियत का अंदाज़ा लगा लेना चाहिए। एक तरफ विदेशी कंपनियां देश में गरीबों और किसानों के पेट पर लात मरने आ रही हैं लेकिन जाति और धर्म कि राजनीति कर रहीं इन ‘सपा और बसपा’ जैसी पार्टियों को अपने वोटबैंक की फिक्र है। संसद में ‘स्वदेशी बनाम विदेशी’ की लड़ाई को इन्होनें ‘सांप्रदायिक बनाम सेकुलर’ में तब्दील करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और ऐन वक़्त पर सरकार को “संसद के बाहर से समर्थन” देकर अपने विरोध की नयी परिभाषा गठित कर दी।

जय हिन्द !

स्वदेशी अपनाओ, देश को शक्तिशाली बनाओ !

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